If you want to read this article in English, click here: Article 15: The Tale, Tribulation and Trial
आर्टिकल 15
एक सत्य घटना
पर आधारित है,
जिसमें यूपी में
कुछ वक़्त पहले
हुई दलित बच्चियों
की मौत को
फिल्म के माध्यम
से दिखाया गया
है। इस
घटना ने सबके
रोंगटे खड़े कर
दिए थे और
इस बात में
कोई दोराय नहीं
कि भले ही
2019 में हम चाँद
पर जाने की
बात कर रहे
हों, हमारी सोच
आज भी दयनीय
है।
यही वजह है कि हम खुद को भारतीय होने से पहले मराठी, बिहारी कहना पसंद करते हैं। संविधान में ये स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है कि हम सब समान हैं और हमें समानता का अधिकार है, लेकिन ये किताबों और शब्दों के स्तर पर ही सच होता दिखता है। आज ही एक ट्विटर यूज़र ने एक वीडियो दिखाया जिसमें बच्चों को उनकी जात के कारण बुरी स्थिति में दिखाया गया। अब आप ही बताएं कि जब हम आगे बढ़ने कि बात कर रहे हैं, उस समय इस तरह कि घटना होना कितना दयनीय है।
Everytime he says the word "bhangi" please observe the look in that child's eyes.pic.twitter.com/4nVrE97DKG
— Zainab Sikander (@zainabsikander) 30 May 2019
ये कहानी भले ही
दो बच्चियों की
ज़िंदगी पर आधारित
हो, लेकिन इस
बात से कोई
इंकार नहीं कर
सकता कि ये
समाज की हकीकत
को दिखाता है। यही वजह
है कि ना
सिर्फ उत्तर भारत,
बल्कि पूरे देश
में इस तरह
की घटनाएं होती
हैं, और हम
सिर्फ ये सोचने
पर मजबूर हो
जाते हैं कि
ऐसा क्यों हुआ।
एक देश जिसको
अनेकता में एकता
का प्रतीक माना
जाता है, इस
तरह कि ओछी
सोच वालों की
वजह से लगातार
बुरी स्थिति में
दर्शाया जाता है। आप और
हम शायद इस
बात पर यकीन
ना कर सकें
लेकिन आज भी
छोटी सोच वाले
लोग हैं जिनके
लिए काम नहीं,
वर्ण सबसे बड़ा
होता है।
वो इसकी वजह
से लड़ने और
मारने-मिटने पर
आ जाते हैं। अब ऐसी
ओछी और छोटी
सोच वालों को
भला कोई क्या
बताए कि सोच
बड़ी, और काम
उससे भी बेहतर
करने से ही
इंसान आगे बढ़ता
है।
इस फिल्म का ट्रेलर
देखकर अपनी राय दें।
लेखक: अमित शुक्ला
No comments:
Post a Comment