स्मिता पाटिल उन चंद अदाकाराओं में से हैं जिन्होंने हमेशा अपने काम से लोगों को प्रभावित किया है। उनकी गमन, मंडी, सूत्रधार सरीखी फिल्में इस बात की मिसाल हैं कि उनके जैसा काम कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं है।
आज भी उनकी 'भूमिका' फिल्म में भूमिका काफी सराही जाती है। वो अपने काम के द्वारा सदैव एक नए पर्याय को समाप्त करती थी और एक नए की शुरुआत करती थी। आज जिस सिनेमा को लोग आर्ट सिनेमा, या पैरलेल सिनेमा कहते हैं उसकी नींव उन्होंने अपने समय में रख दी थी।
वो सदा अपने काम से सबको मंत्रमुग्ध कर देती थी। क्या इस मुस्कान के आगे आप अपने गम नहीं भूल जाएंगे?
आज भी उनकी 'भूमिका' फिल्म में भूमिका काफी सराही जाती है। वो अपने काम के द्वारा सदैव एक नए पर्याय को समाप्त करती थी और एक नए की शुरुआत करती थी। आज जिस सिनेमा को लोग आर्ट सिनेमा, या पैरलेल सिनेमा कहते हैं उसकी नींव उन्होंने अपने समय में रख दी थी।
वो सदा अपने काम से सबको मंत्रमुग्ध कर देती थी। क्या इस मुस्कान के आगे आप अपने गम नहीं भूल जाएंगे?
आज आपको कई अदाकाराएं, कई फैशन शूट्स करती दिखेंगी, लेकिन क्या इस ऐड का कोई मुकाबला है? इसमें सादगी भी है, और क्लास भी, इसमें सैसीपन भी है तो स्टाइल भी।
ये वो अभिनेत्री हैं जिन्होंने एक्टिंग और परफॉरमेंस के नए आयाम खोले, और इन्होने मेन स्ट्रीम सिनेमा में भी काम किया, साथ ही अन्य सिनेमा में भी।
अब एक ऐसी अभिनेत्री जिन्होंने इतना ज़बरदस्त काम किया हो, उनकी एकाएक बच्चे को जन्म देने के दौरान हुई परेशानियों की वजह से 31 साल की अल्पायु में ही मृत्यु हो जाए तो ये कितना दुखद है, ना सिर्फ उनके परिवार के लिए बल्कि सिनेमा जगत के लिए भी।
इस अल्पायु में भी वो हम सबपर एक अमिट छाप छोड़कर चली गई। उनके काम की छाप इतनी बड़ी है कि आनेवाले वक़्त की अभिनेत्रियां ही नहीं, बल्कि अभिनेता भी उनसे सबक ले सकते हैं.
स्मिता पाटिल जी इस बात तो सत्य साबित करती हैं कि 'ज़िन्दगी बड़ी होनी चाहिए, लम्बी नहीं।'
इतने अद्भुत कलाकार, और विशिष्ट मनुष्य को मेरा शत शत नमन।
उनपर बनी एक डॉक्यूमेंट्री आपके साथ साझा कर रहा हूँ, और उनके बारे में उनके समकालीन लोग क्या सोचते हैं, ये सुनिए, तथा आनंद उठाइए:
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