Thursday, 7 June 2018

3 कारण जो ये बताते हैं कि 'वीरे दी वेडिंग' एक धाकड़ फिल्म है

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'वीरे दी वेडिंग' का नाम ज़ेहन में आते ही ऐसा लगता है कि ये एक लड़कों वाली फिल्म है जिसमें आपको लड़कों की दबंगई या मस्ती दिखेगी लेकिन जैसे ही आपको ये पता चलता है कि ये एक लड़कियों से लबरेज़ फिल्म है तो आप सोचने लगते हैं कि शायद इसमें हमें सूरज बड़जात्या का लुक मिलेगा, पर ऐसा नहीं  है।

ये असल में दोस्तों की कहानी है जो अपनी ज़िन्दगी के एक नए आयाम को देखने की कोशिश करते हैं। आइए आपको बताते हैं कि आखिरकार ये फिल्म धाकड़ क्यों है:

3 स्त्री की बातों को सबके सामने लाता है


अमूमन हमें ऐसा लगता है कि मास्टरबेशन सिर्फ लड़कों की आदत है, लेकिन इस फिल्म में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि ये किसी के साथ भी हो सकता है और ये एकदम नैचुरल है।

इस फिल्म के एक दृश्य में स्वरा भास्कर स्वयं को आनंद प्रदान करने के लिए वाइब्रेटर से खुद को आनंदित कर रही होती हैं जब उनके ऑर्थोडोक्स पति (सूरज सिंह) इस बात को लेकर उन्हें ब्लैकमेल करते हैं।

हमें अपने बच्चों से बात करनी चाहिए और बच्चों को भी खुलकर बात रखनी चाहिए, जैसा कि स्वरा अंत में करती है, और उसकी वजह से उनके सर पर से बोझ खत्म हो जाता है।

स्वरा की माँ इरा भास्कर ने अपनी बेटी के इस सीन को लेकर जो प्रतिक्रिया दी, उसके बाद ये लगता है कि हर माँ को अपने बच्चे को सही बोलने से ना हिचकने को कहना चाहिए।

बकौल इरा: 'मुझे यह कहकर शुरू करना चाहिए कि भारतीय सिनेमा में कामुकता एक विषय नहीं है जिसे सीधे व्यक्त किया गया है।'

आप इस बात को इस लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं: http://www.dnaindia.com/bollywood/report-veere-di-wedding-this-is-what-swara-bhasker-s-mother-has-to-say-about-her-masturbation-scene-2622603

2 हीरो की 'नो एंट्री'


अगर आपको क्वीन मूवी याद हो तो उस मूवी ने इस बात का ट्रेंड शुरू किया कि एक फिल्म को कामयाब बनाने के लिए आपको किसी माचो मैन बिल्डअप वाले हीरो की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि अगर आपकी फिल्म का कंटेंट अच्छा होगा तो निर्मल बने इश्वाक सिंह और स्वरा के पति बने सूरज सिंह भी धमाल कर सकते हैं, भले ही उनका किरदार बेहद छोटा हो।

आपको वो एक स्कूटी की टैगलाइन याद है,'Why should boys have all the fun?'

वो इस फिल्म पर एकदम फिट बैठती है।

1 नई डायरेक्टर, नई संभावनाएं


अपनी पहली ही फिल्म से रिया कपूर ने एक सही शुरुआत की है। शादियों में होने वाले फ़िज़ूल खर्च और आपकी सारी कामयाबियों को शादी के सामने धूमिल बताने वाले डायलॉग्स सोसाइटी की सोच पर एकदम सही चोट करते हैं।

लेखक: अमित शुक्ला

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