शब्दों का कारवाँ
Sunday, 1 May 2016
ज़िन्दगी की कविता
ये कविता मैंने नहीं लिखी है, मुझे व्हाट्सएप्प पर साझा की गई, और ये बहुत ही प्रासंगिक लगी इसलिए मैं आप सब लोगों के साथ साझा कर रहा हूँ। इस कविता के मूल लेखक को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ।
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