बदलाव एक ऐसी सतत होने वाली चीज़ है जिसे हम चाह कर भी इक दूजे से अलग नहीं कर सकते। आप सोच रहे होंगे, एक दूजे से? जी, इक दूजे से। हर पल दूसरे पल से जुड़ा हुआ है, अगर आपने पिछले पल को नहीं जिया तो इस पल में ख़ुशी को सोचना भी एक गुनाह है क्योंकि इस पल में ख़ुशी तभी आ सकती है जब हमने पिछले पल को आनंद से गुज़ारा हो।
मैं किसी बाबा या उन जैसा नहीं लगना चाहता इसलिए कहता हूँ की साहब बदलाव समय की पुकार है, और ये किसी समय से नहीं, सतत समय से जुड़ा हुआ है। सतत समय जो इस ब्लॉग के लेखन के दौरान भी है, इसके पूर्ण होने पर भी रहेगा, और उसके बाद भी रहेगा मगर हर पल बदलता ज़रूर रहेगा।
ज़रुरत है की हम उस बदलाव को स्वीकार करें और खुद को बेहतर बनाए क्यूँकि बदलाव और समय किसी का इंतज़ार नहीं करते, वैसे भी चलता हुआ पानी कल-कल की ध्वनि करता है जबकि रुका-ठहरा हुआ पानी बदबू मारता है।
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लेखक - अमित शुक्ला
मैं किसी बाबा या उन जैसा नहीं लगना चाहता इसलिए कहता हूँ की साहब बदलाव समय की पुकार है, और ये किसी समय से नहीं, सतत समय से जुड़ा हुआ है। सतत समय जो इस ब्लॉग के लेखन के दौरान भी है, इसके पूर्ण होने पर भी रहेगा, और उसके बाद भी रहेगा मगर हर पल बदलता ज़रूर रहेगा।
ज़रुरत है की हम उस बदलाव को स्वीकार करें और खुद को बेहतर बनाए क्यूँकि बदलाव और समय किसी का इंतज़ार नहीं करते, वैसे भी चलता हुआ पानी कल-कल की ध्वनि करता है जबकि रुका-ठहरा हुआ पानी बदबू मारता है।
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