Thursday 9 April 2015

ये बेमौसम बरसात कितनी भयानक है

http://www.nishantyadav.in/2015/03/blog-post_30.html


ये बेमौसम बरसात कितनी भयानक है 
गरजते बादल दानव जैसे हैं काले घनघोर डरावने
मै अपनी लहलहाती फसल को देख कर कितना खुश था
बिजली सी लपलपाती तलवार से इसने
मेरी फसल और मेरे अरमानो का वध किया है
बाढ़ के रेलों ने मेरे घरो को उजाड़ दिया है
झेलम ,चिनाव गंगा कोसी सब इनके साथ हो ली हैं
मैं अकेला खड़ा हूँ निशस्त्र असहाय लुटा सा
हे ! ईश्वर मेरी बर्बाद फसल उजड़े घर के तरफ देखो
जवाव दो ! क्या ये दानव तुमने भेजा है
क्या बिजली सी लपलपाती तलवार तुम्हारे म्यान की है
जवाव दो ! निरुत्तर क्यों हर बार  की तरह
हे ! ईश्वर बादलो से कहो ये लौट जाएं
झेलम से कहो ये अपने प्रवाह को कम कर ले
और यदि ये तुम्हारी चुनौती है
तो मुझे स्वीकार है
मैं धरती का पुत्र हूँ हिमालय सा मेरा साहस है
मैं हर बार गिर के उठा हूँ
मैं फिर से उठ जाऊंगा
ये फसल फिर से उगेगी ,
यदि कभी धरती पर आओ
तो मेरा जवाव लाना
क्या ये दानव तुमने भेजा है

..निशान्त यादव....

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