Monday 6 April 2015

अंधेपन का कमाल देखिए

भारत चमत्कारों का देश है साहब, यहाँ हर चौक,चौराहे पर चमत्कार होते है। कभी फूल चढ़ाकर, कभी तेल तो कभी मिठाई और अगर इससे भी दिल ना भरे तो थोड़ी सी बख्शीश देकर। कभी पत्थरों को या उसके रखवालो को जो एक मंत्र पढ़कर और ५०० की पत्ती जेब में रखकर आपकी गाडी को हरा सिग्नल दे देता है।

ये वही देश है साहब जहाँ पर कुछ सालों पहले तक दर्जी का काम करने वाला लोगों को अजीब अजीब से नुस्खे बताकर, जैसे समोसे के साथ लाल चटनी खाने से कृपा आने लग जाएगी, एक अरबपति बन जाता है, और उसके वही तथाकथित भक्त भिखारी, क्योंकि गरीब तो वो पहले से ही होते है।

देखिए ना, ये वही देश है जहाँ पर बाबाओं के पास करोडो की दौलत चंद ही सालों में इकठ्ठा हो जाती है, जबकि उनके भक्तों की रही गई संपत्ति भी लुट जाती है।

यहाँ पर एक पंडित की इज़्ज़त एक प्रधानमन्त्री से ज़्यादा है क्योंकि यहाँ की राजनीति भी इनपर निर्भर होती है। दुःख की बात ये है की एक विकासशील देश में इस तरह की चीज़ से ज़्यादा बुरा क्या हो सकता है की बाबा लोग मुफ़्त में घर से खाने को कमा ले जाते है जबकि उसी जगह एक पसीने बहा कर काम करने वाला पाई पाई के लिए जद्दोजहद कर रहा होता है।

ये दुखद है की हम

'राम को मानते है, राम की नहीं मानते,
रामायण को मानते है, रामायण की नहीं मानते,
अल्लाह को मानते है, अल्लाह की नहीं मानते,
ग्रन्थ साहिब को मानते है, ग्रन्थ साहिब की नहीं मानते,
क्राइस्ट को मानते है, क्राइस्ट की नहीं मानते।

ज़रूरी है की हम अपने अंधेपन से बचे, वरना एक दिन इसी तरह हम मिट जाएँगे, क्योंकि अंध श्रद्धा नुकसान देती है।

No comments:

Post a Comment