Sunday 5 April 2015

जो चाहूँ, सो लिखूँ

पिछले कुछ दिनों से ब्लॉग पर आने वाले कुछ साथियों ने इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है की मैं बस औरों की चीज़ें या दूसरों की कृतियाँ अपने ब्लॉग पर क्यों साझा कर रहा हूँ?

मैं ये जानना चाहता हूँ की इस प्रकार की राय रखने के लिए तो आप आज़ाद है मगर मुझपर थोपने वाले आप कौन होते है। किसी ने अच्छा लिखा है तो उसको अपने ब्लॉग पर साझा करना क्या बुरा है। क्या कोई कृति किसी की बपौती है? नहीं ना। अगर किसी को अपनी बात पूरी तरह से कहने का समय नहीं मिला या वो बात ऐसी है की उसे और लोगों तक भेजा जाए तो इसमें बुरा क्या है?

अपने मत आप अपने जीवन में लगाए, दूसरों पर नहीं।

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