Saturday 28 March 2015

जितना कम सामान रहेगा / गोपालदास "नीरज"

अपने मित्र निशांत यादव के ब्लॉग से साभार।http://www.nishantyadav.in/2015/03/blog-post_11.html?m=1

श्री गोपाल दास नीरज के संग्रह " बादलो से सलाम लेता हूँ " से 

जितना कम सामान रहेगा
उतना सफ़र आसान रहेगा

जितनी भारी गठरी होगी
उतना तू हैरान रहेगा

उससे मिलना नामुमक़िन है
जब तक ख़ुद का ध्यान रहेगा

हाथ मिलें और दिल न मिलें
ऐसे में नुक़सान रहेगा

जब तक मन्दिर और मस्जिद हैं
मुश्क़िल में इन्सान रहेगा

‘नीरज’ तो कल यहाँ न होगा
उसका गीत-विधान रहेगा

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