Tuesday 24 February 2015

ओ मंजिल के राही .................

अपने मित्र निशांत यादव के ब्लॉग से साभार


ओ मंजिल के राही , तू आगे तो बढ़ !
मंजिल तेरी, सपने तेरे , तू आगे तो बढ़ !!    

माना कठिन डगर है तेरी , तू  आगे तो बढ़ !  
फूल नहीं कांटें ही सही , तू आगे तो बढ़ !!

 देख खड़े है द्रोण ,तू एकलव्य तो बन ! 
देख खड़े हैं कृष्ण , तू अर्जुन तो बन !!

कठिन डगर यहाँ सत्य की  , तू बुद्ध तो बन ! 
है अहिंसा तेरे द्वारे , तू गांधी तो बन !!

आशा भरी निगाहें देखे ,तू आगे तो बढ़ ! 
बुला रही है तेरी मंजिल ,तू आगे तो बढ़ !!

देख आसमाँ तुझे निहारे , तू आगे तो बढ़ !
खड़ी है धरती बाहँ पसारे , तू आगे तो बढ़!!

ओ मंजिल के राही , तू आगे तो बढ़ !
मंजिल तेरी, सपने तेरे , तू आगे तो बढ़ !!
                                                         

                                                   ...निशान्त यादव ...

No comments:

Post a Comment