Thursday 26 February 2015

छुक छुक छुक छुक.....रेलगाड़ी


भारत को एक सूत्र में जोड़ने वाली कुछ ही चीज़ें है; एक है भारतीय ध्वज़, दूसरा है संविधान, तीसरा है कानून मगर इन सब से ज़्यादा ज़रूरी है भारतीय रेल। वो रेल जो प्रतिदिन भारतियों को भारत के एक से दूसरे कोने तक ले जाती है।

हर साल की तरह इस साल भी हर भारतीय ने इअ बजट से कई उम्मीदें लगाई थी, पर क्या वो पूरी हुई, आइए देखते है:

क्या मिला:

बुज़ुर्गो के लिए निचली बर्थ।
स्त्रियों के लिए मिडिल बर्थ।
स्वच्छ रेल की कोशिश।
व्हीलचेयर बुकिंग की ऑनलाइन सुविधा।
अन्यान्य भाषाओं में टिकट।
पेपरलेस टिकट चेकिंग टी.टी.ई. द्वारा।
खाने में पिज़्ज़ा डिलीवरी।
अच्छे खाने का दिलासा।

क्या नहीं मिला:

कुछ नई ट्रेनें।
बुज़ुर्गो को टिकट में रियायत।
छात्रों के लिए सुविधाएँ।

क्या नकारा गया:
कुम्हारों की हालत बुरी है, एक समय पर कुल्हड़ों में चाय मिलती थी। कितना अच्छा लगता है सोचकर की आप कुल्हड़ में चाय पी रहे है, मगर अब हम मॉडर्न हो गए है। डिस्पोजेबल कप पसंद है, असली चीज़ नहीं। कितना अच्छा होता अगर प्रभु इस ओर भी ध्यान देते।

वैसे बहुत सी चीज़ें है जो मिली, या नहीं मिली और नकारी गई, मगर अगर ध्यान दिया जाए और नकारी गई चीज़ों को लागू किया जाए तो आनंद आ जाएगा।

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