Wednesday 17 December 2014

पेशावर में खूनी संहार

किसी भी हाल में, किसी भी रूप में, इस घटना को बयाँ करने के लिए जैसे लफ्ज़ ही नही है. आख़िर जेहाद के नाम पर मासूमों का खून कहाँ से इस्लाम का समर्थन करता है? ये कितना दुखद है की लोग सिर्फ किसी को सबक सिखाने की कोशिश में इस कदर कत्लेआम कर रहे है और वो भी मासूम बच्चो का. शर्म आनी चाहिए उन्हें जिन्होंने ऐसा किया या करवाया, और उन मृत बच्चो और लोगों की दिवंगत आत्माओ के लिए शांति की प्रार्थना करते है, और ये आशा करते है की जिन्होंने ये करवाया है वो जल्द ही फाँसी पाए.

पाठक अपने विवके से काम ले क्यूंकि तस्वीरें विचलित कर सकती है.









वहीँ हमारे और दुनिया भर के लोगों ने इसके प्रति संवेदना व्यक्त की है और मुजरिमों के लिए रोष.








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