Thursday 6 November 2014

किसको अपनी व्यथा सुनाए?

किसको अपनी व्यथा सुनाए,
जिसको देखो वही बस अपनी,
हर पल दुखों की पीपरी बजाए,
किसको अपनी व्यथा सुनाए,

हर पल खुद को ढूंढते रहे,
कल तक बस सोचते रहे,
किस ओर अपने कदम बढाए,
किसको अपनी व्यथा सुनाए,

सपनो को आधी उड़ान दी,
फिर जिम्मेदारियों से तोड़ दी,
अंत में रहे भूले-भरमाए,
किसको अपनी व्यथा सुनाए,

अंत में ज़रूरी ये है की,
हम खुद को बेहतर बनाए,
ना की ये सोचे की हरपल,
किसको अपनी व्यथा सुनाए।
-शुक्ल

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