Wednesday 8 October 2014

आज कोर्ट मार्शल होगा

वाकई आज कोर्ट मार्शल होगा. मज़ाक नहीं कर रहा, ये शब्द 'कोर्ट मार्शल' सिर्फ नाटक ही नहीं, हर तरह से सही लग रहा था. कल के नाटक की व्याख्या और आज का नाटक 'कोर्ट मार्शल'.

सुबह ७ बजे का कॉल टाइम था. मैं तो डर डर के सो रहा था की कहीं लेट हो गए तो क्या होगा? मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ. समय पर पहुँचा, रिहर्सल शुरू हुई, मगर सूरज का प्रकोप इतना था की हमें २ घंटे के बाद ही रिहर्सल रोकनी पड़ी. हाँ, वो बात और है की हम कोशिश कर रहे थे की जैसे कैसे रिहर्सल हो जाए.

माहौल को भांपते हुए, हमें पहले नाश्ते का मौका मिला, फिर आराम का, उसके बाद दोपहर का खाना और शाम ५ बजे से रिहर्सल.

आखिरकार जब नाटक चल रहा था तो मैं कई बार रोया, क्यूंकि उस पल भाव ही कुछ ऐसे थे, तो कभी हँसा भी.

आखिरकार जब दर्शकों ने खड़े होकर अभिवादन किया तो बहुत अच्छा लगा.

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