Wednesday 1 October 2014

१४ घंटो की नौकरी

१४ घंटो की नौकरी करना आसान नहीं है,और ख़ास तौर पर अगर उस दिन आपको इस बात की उम्मीद हो की आज या तो नौकरी का अंत होगा, या आप कम घंटो के लिए काम करेंगे। क्यूंकि आप तो इस उम्मीद में जा रहे होते है। आपको पता है की जब एक इंसान ठान कर चलता है तो उसको सिर्फ अपनी उम्मीद का ही आइना दिखता है, और मैं यही उम्मीद लगा कर गया था, क्यूंकि एक दिन पहले मैंने एक छुट्टी ली थी अपने नाटक को करने के लिए और मुझको ये उम्मीद थी की आज उसपर बातचीत होगी। हालाँकि वो छुट्टी स्वीकृत कर ली गई थी,मगर वो भूल गए थे। फिर दूसरी समस्या ये की मैं अगले हफ्ते एक लम्बी छुट्टी पर जा रहा हूँ, जिसके कारण वो चिंतित थे।

खैर शाम तक चली कई बार की द्विपक्षी वार्ता के बाद मेरी छुट्टी मंज़ूर हो गई,पिछली भी और अगली भी। पर इतनी सारी देर तक बातचीत के कारण काम को हुई हानि और आने वाले दिनों की प्लानिंग के कारण १४ घंटो तक काम करना पड़ा। सच में कमर टूट गयी और तेल निकल गया, मगर वो कहते है ना:

'अंत भला तो सब भला'

No comments:

Post a Comment