Tuesday 2 September 2014

नेताओ की बातचीत

आजकल का समय कुछ यूँ हो गया है, की जिस नेता को देखिये, दूसरे की टाँग खींचने में लगा है, और जब वो एक दूसरे से अपने काम बनते हुए देखते है, तो उसी 'तथाकथित' दुश्मन को दोस्त बना लेते है. ये क्या विडंबना है की इतने साल हो जाने के बाद भी, हमें आज भी हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर लड़ाया जाता है, और देखिये ना हम आज भी लड़ते है, एक दूसरे को मारने के लिए, तभी तो गोधरा कांड होता है, मुज़फ्फरनगर में दंगा होता है,और ना जाने कितने ऐसे वाकए पेश आते है, जिनमे लोगों को, निर्दोष लोगों को, अपनी जान गवानी पड़ती है.

ये कितना दुखद है की आज़ादी के ६८वी सालगिरह मना चुके देश में आज भी हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर ज़हर परोसा जाता है और लोग उस बात को मानते भी है. ये कितना दुखद है की लोगों को कथनी-करनी में फर्क ही समझ नहीं आता और लोग इस प्रकार की हरकते करते है वो भी किसी नेता के बहकाने पर.

आज जब देश ने मिसाइल से अपना शक्ति परिक्षण कर दिया है, और देश दुनिया को ये कहा है, की हम भी एक न्यूक्लियर देश है, वहीँ आज भी जाति, धर्म, वेशभूषा, राज्य और कई अन्य कारणों से हमें आज भी तोडा जाता है. ज़रुरत है की हम समझे और देश को सौहार्द की ओर ले चले.

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