Wednesday 30 July 2014

दिन कुछ ऐसे आता है

हर दिन अपने आप कुछ नए अनुभव लाता है,
किरणों के साथ सूरज भी यूँ जगमगाता है,
हर सांस कुछ नया करने का जोश दे जाता है,
दिन कुछ ऐसे आता है,

नित नवीन सपनो का जोश मन बहलाता है,
अपनी कहानी लिखने को नया साफा दे जाता है,
खुद से बेहतर बनने की उम्मीद जगाता है,
दिन कुछ ऐसे आता है,

हरपल आगे बढ़ने को आतुर होते,
अपने सपनो से हरपल है लड़ते,
हर दिन एक नई सीख दे जाता है,
दिन कुछ ऐसे आता है,

कभी सपनो से मेल है जाते,
कभी भीड़ में धक्के खाते,
हर पल पिछले से बेहतर बना जाता है,
दिन कुछ ऐसे आता है,

इक पल अपनों से लड़ते,
अगले पल उनसे प्यार करते,
कई किरदार इंसा रोज़ निभाता है,
दिन कुछ ऐसे आता है,

चांदनी की रौशनी से दिन की साँझ होती है,
अपनों से मिलकर ही वो अलौकिक ख़ुशी मिलती है,
अपने तो अपने होते है, हर दिन ये हमको समझाता है,
दिन कुछ ऐसे आता है

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