Monday 21 July 2014

एक दिन की यात्रा


एक नया दिन आता है, अपने साथ नयी उम्मीदें लाता है, नयी सुबह, नयी सोच, नए नज़रिए, नयी चुनौतियाँ और ये सब शायद इसलिए ताकि हम खुद को और बेहतर बना सके, एक और चरण ऊपर की ओर जा सके. वैसे देखा जाए तो ये प्रक्रिया ज़रूरी भी है, क्यूँकि जब तक आप स्वयं को कल से बेहतर नहीं करेंगे, तो फिर आपका विकास कैसे होगा.

अगर एक दिन की यात्रा को देखा और समझा जाए, तो हमें अपनी उन्नति का एहसास होगा. हर दिन में हमें एक नयी सीख मिलती है, एक नए आयाम से रूबरू होते है जो हमें इस बात का एहसास दिलाता है की हम कितने विशिष्ट है. इस बात पर मुझे हृषिकेश मुख़र्जी जी की 'बावर्ची' फिल्म का वो गीत याद आता है


इस गीत में जितने प्यार से बड़ो की इज़्ज़त करना, दिन का स्वागत करना और न जाने क्या क्या सीख दी गयी है. वो अद्भुत है. वैसे भी ऐसा कमाल सिर्फ हृषि दा ही कर सकते है. एक नए दिन में कहीं न कहीं पिछले दिन को परास्त करने की विजय का शोर भी होता है, वो ख़ुशी भी होती है, जो इस बात का प्रतीक होती है की एक नया दिन आ गया. वो चिड़ियों का मधुर गीत गुनगुनाना, जिसे हम चहकना कहते है, वो प्यार जो सुबह सुबह की किरणे हम पर बरसाती है, शायद कहीं न कहीं ये समझाने के लिए, की एक नया दिन आया है, अपने साथ नयी उम्मीदों का सूरज लाया है, और हमें जगाता है ताकि हम अपने पुरुषार्थ से उस दिन एक नयी कहानी लिख दे, कहानी अपनी जीत की, अपनी लड़ाई की, अपने सपनो की ओर भागने के जद्दोजहद की.



शायद इतने सारे नए मुकाम और मायने है इस एक यात्रा के की जिसे मैं अकेला नहीं लिख सकता. आप सब भी बताए की आप एक नए दिन से क्या उम्मीद लगाकर बिस्तर से उठते है. आपके जवाबों का कमेंट्स के रूप में अभिलाषी!

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