Saturday 19 July 2014

ब्लॉग लिखना भी एक नशा है


ब्लॉग, एक ऐसी जगह जहाँ आप अपनी भावनाओ को लोगो के साथ बाँटते है. आपकी एक ऐसी दुनिया जो आपको लिखने की आज़ादी देती है,सोच को शब्द में बदल देती है, और आप एक भावना से सराबोर होकर लिखते है. वैसे तो मैंने लगातार लिखना ३ दिन पहले ही शुरू किया है, मगर अब ऐसा लगता है की जैसे ये कोई नशा है, और इस नशे में इतनी हिम्मत है की अगर आपको अपने आगोश में ले ले, तो इसके मोहपाश से निकलने का कोई रास्ता नहीं है.

पहले पहल जब मैंने ब्लॉग शुरू किया था, तो मैं भी यही सोचता था, की जब समय मिला तब ब्लॉग लिख दिया करेंगे. वैसे भी ये कोई स्कूल या ऑफिस तो है नहीं जहाँ आपको डेली प्रेसेंंट होना चाहिए, और यकीन मानिए जबसे ब्लॉग शुरू किया था, यही आदत अंदर शुमार थी, की जब वक़्त मिला तो ब्लॉग ज़रूर लिख दिया जाएगा, मगर ऐसा समय कभी आया ही नहीं, और जब आया भी तो महीनो महीनो के बाद, कभी तो साल के एक महीने में हरियाली होती थी,और फिर सूखा.


मगर ३ दिन पहले ना जाने क्या हुआ की मेरे अंदर लगातार लिखने की इच्छा जाग उठी. मैंने भी इसका समर्थन किया, आखिर लिखना भी तो एक कला है, और इसको समझना भी. शुरुवात में तो मुझे एक मज़ाक सा लगा, मगर पिछले ३ दिनों से मैं लगातार लिख रहा हूँ. लिखते वक़्त लगता है जैसे मैं अपने आप को अच्छे से व्यक्त कर पा रहा हूँ. इस चीज़ ने मुझे बहुत उत्साहित किया, पहले मुझे लगा की अंग्रेजी में लिखूँ,लिखने में कोई दिक्कत भी नहीं है, क्यूँकि मुझे अंग्रेजी में लिखना आता है, पर फिर ऐसा लगा की शायद मैं हिंदी में अपनी बात और बेहतर तरीके से लोगों से कर सकता हूँ, और तब से लेकर सारे ब्लॉग्स हिंदी में ही है.


कभी कभी सोचता हूँ की अंग्रेजी में भी लिखने लगूँ, अगर और कुछ नहीं तो अपने हिंदी ब्लॉग का अंग्रेजी में अनुवाद कर दूँ ताकि मेरे अंग्रेजी भासी दोस्त भी पढ़ सके. खैर अभी वो ख्याल सिर्फ एक ख्याल ही है, बाकी आगे देखेंगे.एक साथ ३ ब्लॉग लिखना आसान काम तो है नहीं, मगर मेरा पूरा प्रयास है की मैं तीनो को लगातार लिखूँ, ताकि मैं अपनी भावनाओं को और अच्छे से लिखकर व्यक्त कर सकूँ. आज जब ब्लॉग नहीं लिख पाया तो अंदर से कहीं कुछ कचोट सा रहा था, की तुम अपना ब्लॉग नहीं लिख सके, एक अजीब सा खालीपन महसूस हो रहा था,तभी अंदर से एक आवाज़ आई,'ब्लॉग लिखना भी एक नशा है', और मैंने कहा वाह आज के ब्लॉग के लिए कितना खूबसूरत टाइटल मिल गया, फिर कुछ देर बाद अपने विचारों को लिखना शुरू किया.

अब शायद मैं ये समझ पाया हूँ, की मेरे प्रभु श्री अमिताभ बच्चन जी प्रतिदिन ब्लॉग कैसे लिख पाते है, क्यूँकि उनपर भी इसका नशा चढ़ चुका है, वैसे सारे नशे बुरे नहीं होते.

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