Friday 27 June 2014

मेट्रो यात्रा: सेंट्रल सेक्रेट्रिएट तो मंडी हाउस

मेट्रो का सफर वैसे तो बहुत सुहाना सा होता है,मगर क्या सेंट्रल सेक्रेटेरिएट से मंडी हाउस का सफर वैसा ही था, क्या ये रूट लोगों की उम्मीदों पे खरा उतरा, क्या इस रूट के आने से लोगोँ को अपनी समस्याएँ काफूर होती हुई दिखी?

वास्तविकता में इस रूट के आने से उन लोगों को जरूर लाभ है जो फरीदाबाद या बदरपुर बॉर्डर में रहते है क्यूँकि उन्हें फरीदाबाद से मिड्ल दिल्ली आने में सँकोच नही करना होगा। अब वो भी बेधड़क सफर कर सकेंगे. वो भी बेहद खुश होंगे जिन्हें बार बार राजीव चौक से मेट्रो बदलनी पडती थी और वहां पर लोड बढ़ जाता थ, मगर यदि देख जाएं तो इस रूट पर कई खामियाँ भी है.

खामियाँ:

ये रूट येलो लाइन पर है और इसको कनेक्ट करने वाला रूट है मन्डी हाउस को,मगर इस रूट को पाने के लिए आपको पहले एक साइड से दूसरी ओर आने पड़ेगा, प्लेटफार्म न. १ और २ से प्लेटफार्म न. ३ और ४ पर जाना आसान नहीं है. इतनी भीड़ है इस रूट पर, की इतनी बडी भीड़ को संभालना मुमकिन नहीं हो रहा था. लोग कोशिश कर रहे थे, मगर ना इतना स्पेस था, ना सुविधाएँ थी मन्डी हाउस स्टेशन पर जो लोगों के इस हूजूम को संभाल सकें। लोग प्लेटफार्म पर फोटो खींच रहे थे,उन फूलोँ की जो स्वागत या शुरुआत के समय मेट्रो लाइन पर लगाएँ गये थे. सिक्योरिटी वाले लोगों से हाथ मिलाने और फोटो खिचवाने मे मस्त थे, ना कि ये बताने के लिए की क्या सही रुट है,किधर से मैट्रो बदलनी है,और भी कई जानकारियाँ।

वैसे देखा जाए तो ये रूट लोगों को एक़ अच्छा अवसर देगा जो बॉर्डर से दिल्ली की सैर करना चाहते थे, मगर साधन ना होने से दुःखी थे. उनको भी जिन्हें यैलो से ब्लू लाइन पर आना होता था, मगर कई बार बदलना पड़ता था, और ख़ास तौर पर कला प्रेमियों के लिए, जो अब सीधे श्रीराम सेंटर, राष्ट्रीय नाटय विध्यालय ये अनय कई जगहोँ तक बहुत ही आसानी से पहुँच सकते है.









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