Wednesday 25 June 2014

रैट रेस कभी ख़त्म नहीं होती

सुबह सुबह की धूप का आनंद लेने की कल्पना से ही हमें इतनी ख़ुशी मिलती है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। हम सब एक नए दिन का इंतज़ार करते है, एक नयी ख़ुशी का, एक ऐसे दिन का, जिसमे हम अपनी खुशियों को खुल के जी सके, अपनों के साथ, अपनी इच्छाओ के साथ,मगरफिर हमें ये एहसास होता है की शायद हम अपने सपनो की दुनिया में ही इन चीज़ो के बारे में सोच रहे थे. असलियत में तो हम हर सुबह एक नए दिन की रत रेस के लिए तैयार हो रहे होते है.

वही सुबह अपने बच्चो को स्कूल छोड़ना,सुबह तैयार होना, कपड़े पहनना, जूते पोलिश करना,टशन में दिखने के लिए (नवयुवकों के लिए) डिओ लगाना, बाइक को लहराते हुए निकलना, और वही शादीशुदा लोगों के लिए अपने परिवार को चलाना, उनकी ज़रूरतें पूरी करने के लिए रोज़ खुद से और दुनिया से लड़ना,खुद को साबित करना ताकि हम रैट रेस में बने रहे ताकि हमारे खर्चे और कर्ज़े निपटते रहे. कितना मुश्किल हो जाता है,इस सब के बीच खुद को वक़्त दे पाना, खुद से बातचीत कर पाना, ये समझना की हम क्या करना चाहते थे, क्या बनना चाहते थे, कही खो से जाते है?


एक वो उम्र होती थी,जब हम अपने सपनो को जीना चाहते थे, कुछ करना चाहते थे, कुछ ऐसा बनना चाहते थे जो पहले कोई न बना हो,वही हम ये भूल जाते थे, की हम किसी भी दूसरे जैसे नहीं हो सकते, कोई दूसरा सचिन,दूसरा कलाम,दूसरी कल्पना चावला बनना चाहता था,कितने हसीन थे वो सपने, पर ये भी कमाल है की हर सपना वयस्क होते ही काफूर हो गया. हम सब लग गए जीवन को सवारने में, सपनो को जीने में, उनको हकीकत बनाने की कोशिश में, मगर अंत में उन सपनो को पाते पाते कही न कही रह गए.



शायद इसलिए की हम अपने सपने के लिए ज़रूरी मेहनत न कर सके या शायद बड़े होते होते हमारा सपना कहीं खो गया, मगर शायद हमें ये समझना होगा की एक दिन हम सब इस रैट रेस को यहीं चार कन्धों के सहारे अलविदा कह देंगे, ज़रूरी है की हम उस सपने को जिए, जो हम जीना चाहते थे, जो हमें ताकत देता था, ताकि जब हम इस दुनिया को अलविदा कहें तो ये मलाल न हो,'यार, हम ये कर सकते थे, करना भी चाहते थे,पर कर नहीं सके क्यूँकि….' ये क्यूंकि उस वक़्त मायने नहीं रखेंगे, क्यूंकि जब आप कुछ कर सकते थे, आपने किया नहीं, और अब आप करने की स्थिति में नहीं है. तो ध्यान रखिये इन शब्दों का,

        मौत आनी है तुम्हे भी, इसलिए ये याद रखना,
मर के जीता है वही, जो सपने है साकार करता,
ना पहुँचो इस स्थिति में जिसमे की ये कहना पड़े,
मैं तो ये कर न पाया, काश जीते जी ये करता,

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