Saturday 7 July 2018

5 रीजनल फिल्में जो बॉलीवुड को नहीं बनानी चाहिए

बॉलीवुड में एक समय सिर्फ गाने ही चोरी हुआ करते थे, लेकिन फिर इन्हें इंस्पायर्ड कहा जाने लगा। ये एक तरह से किसी पुरानी चीज़ को नए पैकेट में पेश करने का नया नाम था।

सिर्फ गाने ही नहीं, बॉलीवुड में फिल्में भी चोरी या इंस्पायर्ड होती है। यहां मैं ये कहना चाहूँगा की बॉलीवुड ने एक फ़िल्म रीमेक की है जिसका इंतज़ार फैंस को बेसब्री से रहेगा।

अब चूंकि मराठी फ़िल्म सैराट, धड़क के रूप में हमारे बीच जल्द आने वाली है। उसके गानों और फ़िल्म का ट्रेलर देखकर मैं यही कहूंगा कि बॉलीवुड को कभी भी रीजनल क्लासिक को नहीं खराब करना चाहिए। तो इस बात को ध्यान में रखकर, मैंने ये सोचा कि क्यों ना उन 5 रीजनल फिल्मों के बारे में बात की जाए जिन्हें बॉलीवुड को नहीं बनाना चाहिए:

5 फैनड्री (मराठी)




ये फ़िल्म भी नागराज मंजुले की ही है और सैराट की तरह ही इसमें भी एक अलग जाति, बड़े-छोटे के स्तर को दिखाया गया है। एक तरफ जहां सैराट कॉलेज पर आधारित है तो फैनड्री स्कूल पर।

इस फ़िल्म में भी नागराज ने एक बेहद बड़ा सवाल उठाया है पर अगर इसे बॉलीवुड में दिखाया गया तो ये मेलोड्रामा हो जाएगा।

इसलिए बॉलीवुड इस फ़िल्म को ना बनाए।

4 कोर्ट (मराठी)





ये एक ऐसी कहानी है जिसे देखने भर से ही आपको समझ आ जाता है आखिरकार क्यों मराठी सिनेमा बॉलीवुड से आगे चल रहा है।

ना कोई एक्शन, ना बेवजह की चीज़ें, बस एक साधारण कहानी पर उसके बाद भी आप इस फ़िल्म से नज़रें नहीं हटा पाएंगे और अगर आप इस फ़िल्म में कोर्ट की कहानियाँ, उससे जुड़े सवाल और उसकी प्रक्रिया को समझ सकेंगे तो आप भी इस फ़िल्म के मुरीद हो जाएंगे।

3 पंजाब 1984 (पंजाबी)




1984 के दौरान पंजाब में भड़के दंगों और उस दौरान हुए नरसंहार के साथ साथ किस तरह बच्चों, बड़ों, बुजुर्गों और औरतों के साथ दुर्व्यवहार हुआ, इसको दर्शाती है ये फ़िल्म।

इसके साथ साथ इस फ़िल्म में ये भी दिखाया है कि किस तरह उस समय लोग गलत रास्तों पर निकल पड़े थे। दिलजीत दोसांझ और सोनम बाजवा की इस फ़िल्म में किरन खेर की एक अहम भूमिका है।

अगर बॉलीवुड इसे बनाएगा तो मेलोड्रामा बना देगा इसलिए अगर वो इस फ़िल्म को नहीं बनाए तो ये ना सिर्फ इस फ़िल्म बल्कि लोगों पर बड़ी मेहरबानी होगी।

2 विसरनै (तमिल)



ये फ़िल्म भारत की तरफ से ऑस्कर्स में जाने वाली फिल्म थी। अब इसके बाद क्या कुछ कहना बाकी है?

ये तमिल में बनने वाली ऐसी फिल्म है जिसको देखने के बाद आपके रोंगटे कांपने लग जाएंगे। लॉकअप नाम की किताब पर बनी ये फ़िल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है जिसमें 4 में से जिंदा बच गए एक लड़के ने अपनी आप बीती बताई है और ये भी कि इन सबकी ज़िन्दगी में क्या गुज़रा।

इसे अगर बॉलीवुड ने बनाया तो ज़बरदस्ती का म्यूजिक डालकर लोगों को भावुक किया जाएगा, लेकिन इस तमिल फ़िल्म में उसकी जरूरत नहीं है, अभिनय ही काफी है।

1 पाथेर पांचाली (बंगाली)



सत्यजीत रे की इस फ़िल्म के बारे में कुछ कह सकूं अभी या कभी भी मैं इस योग्य नहीं हो पाऊंगा।

ये वो फ़िल्म है जिसे देखने के लिए विदेशी तक आज भी लालायित हैं।

प्रिय बॉलीवुड तुम इसे मत बनाना वरना तुम गुड़ का गुड़ गोबर करने में समय नहीं लगाओगे।

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