मेरे अपने लिखे हुए शेर:
रीढ़ की हड्डी होना ज़रूरी है,
तलवे चाटने की क्या मजबूरी है,
खुद में बेहतर होते चलो हर पल,
सुना है चमचो की उम्र होती थोड़ी है - शुक्ल
रीढ़ की हड्डी होना ज़रूरी है,
तलवे चाटने की क्या मजबूरी है,
खुद में बेहतर होते चलो हर पल,
सुना है चमचो की उम्र होती थोड़ी है - शुक्ल
रंज है गर दिल में,तो खुल के कह दो,
यूँ घुट घुट कर रहना हमें अच्छा नहीं लगता,
दिल की बात कह दोगे तो दर्द कम हो जाएगा,
चिंगारी कब शोला बन जाए,पता नहीं लगता' -शुक्ल
यूँ घुट घुट कर रहना हमें अच्छा नहीं लगता,
दिल की बात कह दोगे तो दर्द कम हो जाएगा,
चिंगारी कब शोला बन जाए,पता नहीं लगता' -शुक्ल
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