मेरे मित्र श्री निशांत यादव जी द्वारा लिखी गयी एक अद्भुत कविता आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ. आशा है आपको पसंद आएगी. आनंद उठाइए: http://www.myfeelinginmywords-nishantyadav.blogspot.in/2014/12/soul-with-empty-hand.html
परमार्थ का स्वार्थ से मेल क्या है !
सत्य का असत्य से भला नाता कैसा !
इन सब तुलनाओं के बीच !
एक सत्य है जीवन और मृत्यु का होना !
जीवन का मृत्यु से और मृत्यु का जीवन से राग अलग है !
क्रोध , द्वेष , हिंसा और मोह माया !
प्रेम , त्याग बैराग्य और तपस्या !
यही इस जीवन का सच है !
मृत्यु क्या है ?
सिर्फ निस्वार्थ चले जाने खाली हाथ ?
हा यही है सच है मृत्यु बाद !
आत्मा है खाली हाथ .............
निशान्त यादव
परमार्थ का स्वार्थ से मेल क्या है !
सत्य का असत्य से भला नाता कैसा !
इन सब तुलनाओं के बीच !
एक सत्य है जीवन और मृत्यु का होना !
जीवन का मृत्यु से और मृत्यु का जीवन से राग अलग है !
क्रोध , द्वेष , हिंसा और मोह माया !
प्रेम , त्याग बैराग्य और तपस्या !
यही इस जीवन का सच है !
मृत्यु क्या है ?
सिर्फ निस्वार्थ चले जाने खाली हाथ ?
हा यही है सच है मृत्यु बाद !
आत्मा है खाली हाथ .............
निशान्त यादव
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