Monday 13 October 2014

और आज दिल्ली में

कल नुक्कड़ नाटक के लिए तैयार होते होते, ऐसा दिल कर रहा था की कोई परेशान ना करे, क्यूँकि मैं अपने घर पर था, अपनी माँ के साथ, अपने भाई के साथ, और बाबूजी खेतों में. आखिरकार जब शाम को पता चला की मेरे साथी कलाकार शाम को मेरे ही घर से चंद किलोमीटर दूर ही नुक्कड़ नाटक करने वाले है तो और भी ज़्यादा ख़ुशी हुई. आख़िरकार मैंने वहीँ का रुख किया, और अपने साथियों के साथ नुक्कड़ नाटक ख़त्म किया, और फिर अपनी ट्रेन पकड़ के दिल्ली को रवाना हुआ.

खैर ट्रेन ७ बजे दिल्ली आ गई और मैं ८ बजे तक ट्रेन में सोता ही रहा. आखिरकार जब किसी ने मुझे जगाया तो मैंने भी होशस संभाला और चीज़ें तरतीब में लाया.

एक अच्छा दिन गुज़र गया.

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