Friday 5 September 2014

शिक्षको को मेरा नमन


क्या और कहाँ से शुरू करूँ? ये लिस्ट इतनी लम्बी है की जिसके बारे में लिखने के लिए ये एक ब्लॉग कम है, लेकिन चलिए कहीं ना कहीं से तो शुरुआत करनी ही होगी, सो आइये आपको बताता चलूँ की मेरे सबसे यादगार शिक्षक कौन थे और हैं:

ज़ाहिर सी बात है मेरे सबसे पहले शिक्षक मेरे माँ-बाप ही थे. मैंने जीवन की सोच उनसे ही पायी, और समय के साथ वो अनुभवों के साथ बढ़ती गई. फिर मेरे कुछ शिक्षक थे, जब मैं स्कूल बस में जाता था, तो मेरी एक इंग्लिश की टीचर थी,शायद उनका नाम मिसेस ब्रिगेंजा था. उन्होंने ही पहले पहल मेरी अंग्रेजी को बेहतर किया. जो अगला शख्श मुझे याद आता है, वो थे मेरे केमिस्ट्री के टीचर, शायद उनका नाम मिस्टर गुप्ता था. अब क्या है ना साहब, ये बात कम से कम २२ साल से ज़्यादा पुरानी है, और तब मैं बहुत छोटा था, तो ज़्यादातर लोगों के नाम तो मुझे याद ही नहीं है.

मुझे जिस एक टीचर का नाम भली भाँति याद है वो है मेरी कंप्यूटर की टीचर, जिनका नाम था तृप्ति मैम. वो हमें एक लाइन में क्लास से कंप्यूटर लैब तक लाती थी. वाह अब जब याद आता है, वो सीढ़ियां चढ़कर क्लास में जाना,और लाइन में नीचे आना. सच में बहुत अच्छा लगता है. वो टीचर का स्विमिंग के लिए ले जाना. वो वॉलीबाल टीचर, वो लाइब्रेरी. ओफ़, वो भी क्या पल थे, जो अब यादें बन गई है.

वो मैथ्स के मेरे टीचर गोविन्द सर, जिनके कारण मुझे मैथ्स बचपन से ही सरल लगी. वो उनका क्लास के अंतिम ५ मिनट में कोई ना कोई जोक करना, जिससे स्ट्रेस लेवल कम हो जाए और बच्चों को मैथ्स समझ भी आए. वो हिंदी के डी.लिट. के.के. पांडे सर, जिनकी व्याख्याओं ने मुझे हमेशा हिंदी की ओर अपना रुझान बनाए रखने में मदद की. वो उनका हर एक शब्द, लाइन को बड़े ही ध्यान और अर्थपूर्ण समझाना.

वो इंग्लिश के एक टीचर (जिनका नाम मैं भूल गया हूँ) का हर एक नाटक या कविता का वो मधुर अनुवाद करना. वो मिश्रा सर की फिजिक्स थ्योरी, वो युसूफ सर की केमिस्ट्री, और मेरे द्वारा ११वी के फेयरवेल के समय इनकी की गई मिमिक्री. वो मैथ्स के एक बाद के टीचर, जिनका निकनेम हमने 'वीरप्पन' रखा था, क्यूंकि वो उसके जैसे लगते थे. वो उनके साथ मेरी लड़ाई और उनको नौकरी से बर्खास्त करवाना. पूरी मुहीम को अपने ही कंधो पर लेकर चलना. वो पहली बार प्रिंसिपल का मुझको उनके रूम में देखकर चौकना, क्यूंकि मैं स्कूल के सबसे अच्छे बच्चों में टॉप पर था. वो सिंह सर का कड़क रवैया, ताकि बच्चों में अनुशाशन रहे.

मगर इन सब से ज़्यादा अच्छा और बड़े, मेरे सर्वप्रथम टीचर, श्री अमिताभ बच्चन जी जो मेरे सदा से प्यारे टीचर रहे है और सदा रहेंगे. वो जिनसे मैं लगातार सीख रहा हूँ. बच्चन सर, आपको शत-शत नमन

No comments:

Post a Comment