Thursday 21 August 2014

देश डिजिटल हो रहा है

सच में क्या देश डिजिटल हो रहा है? देखिए ना प्रधानमंत्री भी डिजिटल और तो और ज़्यादातर विभाग भी डिजिटल. देखिए ना जो कभी समय पर ट्रेन नहीं पहुँचा सके वो आजकल नियमों का हवाला और जानकारियाँ ऑनलाइन दे रहे है, और तो और देखिए आज खुद प्रधानमंत्री जी ने शिक्षा को भी डिजिटल कर दिया, और वहीँ देखिये ना बच्चे रास्ते पर पन्नी बिन रहे होते है, मैले में अपने लिए कुछ खाने को ढूंढ रहे होते है.

कुछ बाल मज़दूरी, कुछ अन्यान्य कारणों से अपनी ज़िन्दगी में वो तथाकथित 'राइट टू एजुकेशन' अर्थात 'शिक्षा का अधिकार' पाने से मीलों वंचित है, मगर सरकार कहती है की हमें शिक्षा को डिजिटल बनाना है. मूर्खता की हद है की जिस देश में बच्चे आज भी दो वक़्त की रोटी को कमाने में अपना बचपन खो बैठते है, वहां पर ऐसी योजनाएँ जो उनको उनका शिक्षा का हक़ दे सके लागू नहीं होती,होती है तो ऐसी जो की मखौल उड़ा रही हो इस सिस्टम का, उन बच्चो का और लोग कहते है की वाकई में 'अच्छे दिन' आएंगे.

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