मेरे एक मित्र ने मुझसे ये पूछा की आप ये बता सकते है की ये नाटक इतना हिट क्यों है, मैंने कहा मेरा कल का ब्लॉग पढियेगा, जवाब खुद बा खुद मिल जायेगा. ऐसा करने की दो वजहें भी थी, एक तो ये की इस अद्भुत नाटक को चंद शब्दों में बाँध पाना मुश्किल है, और दूसरा ये की मेरे पास उस वक़्त समय की कमी थी.
हो ना हो ये सवाल हर उस इंसान के दिमाग में ज़रूर आता होगा, जो या तो किसी और गेम शो से जुड़ा रहा है या यूँ ही भी, मगर के.बी.सी. बहुत पसंद किया जाता है इसमें कोई शक नही और हो भी क्यों ना? आखिर कई कारण है इस नाटक के इतने सफल होने के पीछे, तो चलिए नज़र डालते है उन कारणों पर जो इस नाटक तो इतना ज़बरदस्त बना देते है:
सबसे पहले तो इस नाटक से जुड़े हुए विज्ञापन बहुत ही अद्भुत होते है, जिनमे एक सन्देश हमेशा ही छुपा होता है, अब चाहे पिछले कुछ वर्षों की पंच लाइनो को ही ले लीजिए, वो कहते है,'कोई भी इंसान छोटा नहीं होता','कोई भी सवाल छोटा नहीं होता', और इस बार तो अति सुन्दर 'यहाँ सिर्फ पैसे ही नहीं, दिल भी जीते जाते है', वाह क्या बाकमाल लाइन है, और इनसे जुड़े विज्ञापन भी कितने सुन्दर होते है.
अब उसके आगे की बात करे तो वो टीम जो इस नाटक का संचालन करती है, वो इंसान की एक बहुत बड़ी आदत, अर्थात,'सपने' देखने की आदत को और जगाती है, और इंसान ये सपना देखता है की चंद ही मिनटों में वो लखपति या करोड़पति बनकर अपनी समस्याओं से मुक्ति पा सकता है, हैं ना कमाल की बात. उसके बाद लोगों को अपनी बुद्धिमता को साबित करने का अवसर मिलता है, और वो भी इतना सुन्दर की जिन्होंने शायद अपने वयस्क होते ही पढाई से नाता तोड़ दिया था, वो भी पढाई करने लगते है, यानी लोगों को इस बात का महत्व समझ में आता है की ज्ञान कितना भी अर्जित कर लो, वो हमेशा कम ही होता है, और उसको प्राप्त करने का प्रयास कभी रुकना नहीं चाहिए.
फिर सोने पे सुहागा ये की देश के चहीते ही नहीं, बल्कि जगत चहीते अभिनेता और अद्भुत इंसान श्री अमिताभ बच्चन जी से मिलने का मौका मिलता है. वो कंप्यूटर जो आजतक सिर्फ इस्तेमाल किया जाता था, जीवित हो उठता है, और लोगों की किस्मत का फैसला करता है. वहाँ तो घडी भी जीवित हो उठती है,क्यूंकि कभी घड़ियाल बाबू, कभी टिकटिकी, कभी मिस टिक टॉक के रूप में.
जो सबसे ज़्यादा दिल को छूने वाली बात है वो ये की वहां पर आम इंसान ('आम आदमी' कहना आजकल राजनीतिक है) जिसने लोगों को सिर्फ टीवी पर आते देखा था, वहाँ का राजा होता है, और इसका श्रेय जाता है श्री अमिताभ बच्चन जी को क्यूंकि वो वहाँ पर आए हर इंसान को, चाहे वो दर्शक हो (सेट या घर पर) को बहुत ही सम्मान देते है और उसको इस तरह का महसूस कराते है की आदमी वहाँ दिल देकर और लोगों का प्यार जीतकर ही जाता है.
हो ना हो ये सवाल हर उस इंसान के दिमाग में ज़रूर आता होगा, जो या तो किसी और गेम शो से जुड़ा रहा है या यूँ ही भी, मगर के.बी.सी. बहुत पसंद किया जाता है इसमें कोई शक नही और हो भी क्यों ना? आखिर कई कारण है इस नाटक के इतने सफल होने के पीछे, तो चलिए नज़र डालते है उन कारणों पर जो इस नाटक तो इतना ज़बरदस्त बना देते है:
सबसे पहले तो इस नाटक से जुड़े हुए विज्ञापन बहुत ही अद्भुत होते है, जिनमे एक सन्देश हमेशा ही छुपा होता है, अब चाहे पिछले कुछ वर्षों की पंच लाइनो को ही ले लीजिए, वो कहते है,'कोई भी इंसान छोटा नहीं होता','कोई भी सवाल छोटा नहीं होता', और इस बार तो अति सुन्दर 'यहाँ सिर्फ पैसे ही नहीं, दिल भी जीते जाते है', वाह क्या बाकमाल लाइन है, और इनसे जुड़े विज्ञापन भी कितने सुन्दर होते है.
अब उसके आगे की बात करे तो वो टीम जो इस नाटक का संचालन करती है, वो इंसान की एक बहुत बड़ी आदत, अर्थात,'सपने' देखने की आदत को और जगाती है, और इंसान ये सपना देखता है की चंद ही मिनटों में वो लखपति या करोड़पति बनकर अपनी समस्याओं से मुक्ति पा सकता है, हैं ना कमाल की बात. उसके बाद लोगों को अपनी बुद्धिमता को साबित करने का अवसर मिलता है, और वो भी इतना सुन्दर की जिन्होंने शायद अपने वयस्क होते ही पढाई से नाता तोड़ दिया था, वो भी पढाई करने लगते है, यानी लोगों को इस बात का महत्व समझ में आता है की ज्ञान कितना भी अर्जित कर लो, वो हमेशा कम ही होता है, और उसको प्राप्त करने का प्रयास कभी रुकना नहीं चाहिए.
फिर सोने पे सुहागा ये की देश के चहीते ही नहीं, बल्कि जगत चहीते अभिनेता और अद्भुत इंसान श्री अमिताभ बच्चन जी से मिलने का मौका मिलता है. वो कंप्यूटर जो आजतक सिर्फ इस्तेमाल किया जाता था, जीवित हो उठता है, और लोगों की किस्मत का फैसला करता है. वहाँ तो घडी भी जीवित हो उठती है,क्यूंकि कभी घड़ियाल बाबू, कभी टिकटिकी, कभी मिस टिक टॉक के रूप में.
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